पेंदी

एक बिन पेंदी के घड़े को 
झरना भी तो नहीं भर सकता
मेरा प्यार अधूरा नहीं 
हाँ, एक तरीका बचता है 
घड़े को पानी में डुबा देना
लेकिन ये घड़ा जो साँस लेना चाहता है
जिसने अपनी पेंदी हवा के लिए तोड़ दी
उसे डुबाना ठीक भी तो नहीं
प्यार अहित थोड़ी करता है कभी
मैं ही तेरी पेंदी बन जाऊं तो? 
क्या तुम्हें प्रेम की ये पेंदी मंज़ूर होगी? 
घड़ा आख़िर अपनी तक़दीर और कैसे हासिल करेगा?
पेंदी वापस लगाने का वक़्त भी तो आ ही गया है

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