सुरूर

उसकी गंध मेरी रूह से जाती क्यों नहीं
उसका अक्स निगाहों से कभी हटता क्यों नहीं
ये कैसा सुरूर है उसका 
की उसके जाने के बाद भी 
घटता ही नहीं 

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