परिपक्वता

सोचता हूँ शायद परिपक्वता इसमें ही है
की हम अपने दुःखों की जिम्मेदारी स्वयं ले
अपने दुःखों का कारण स्वयं को समझें
दोषारोपण से केवल दुःख में पराजय की भावना आती है
आत्म दोष का सँज्ञान ही विजय की घोंषणा है 

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